Friday 29 February, 2008
सूरत मेरी है गायब..
Saturday 16 February, 2008
‘राज के लिये उधेड़बुन’
Wednesday 13 February, 2008
Journalist भाईयों से एक बात....
Journalist भाईयों से एक बात....
Journalist भाईयों से एक बात....
ज्यादा समय नहीं हुआ जब मैंने ब्राडकॉस्ट जर्नलिज्म में मास्टर्स किया... लेकिन किसी भी न्यूड चैनल... ओह माफ़ किजियेगा.. किसी भी न्यूज़ चैनल में काम नहीं मिला.... सच बताऊं तो बहुत मन से कोशिश भी नहीं की... कारण... ये समझ नहीं आया कि So called News Channels समाज में होने वाली ख़बरें दिखातें हैं या ‘ख़बरों को बनाते हैं....’ अपनी बात करना इसलिये जरूरी लगा…. ताकि यह बताया जा सके कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ में जंग लग गया है... और इस जंग लगे स्तम्भ को संभालने में हमारे सामने कोई अच्छे उदाहरण भी नहीं... बात आज तक की हो रही थी तो दरअसल ... सबसे तेज भागते हुए... यह इतनीं दूर निकल आया है कि ख़ुद की बनाई भूल-भुलैया में खो गया है.... रुको... सोचो क्या यह वही मुक़ाम है... जहां के लिये निकले थे...? शुरू में Stars की तरह चमकने वाले चैनल भी अपनी चकाचौंध से अंधे हो गये हैं कि उन्हें अच्छे बुरे..... सही गलत का होश ही नहीं रह गया है.... इनके अलावा कुछ चैनल तो ऐसे हैं कि अगर आप सच में उनके बारे में comment सुनना चाहेंगे..... तो इस ब्लॉग को Rated category में डालना पड़े....
ऐसा नहीं है कि कोई भी अच्छा काम नहीं कर रहा है.... जो अच्छा काम कर रहे हैं उनका नाम गिनाना जरूरी है... NDTV का नाम लेकर यह बताना भी जरूरी है कि ‘बिना ख़बर बनाये और ‘नाग-नागिन’ दिखाये जाने के बावजूद .... TRP भी ली जा सकती है और दर्शकों का प्यार भी.... इसके अलावा अगर फूहड़ता देखकर बोर हो गयें हो और दूरदर्शन देखने की इच्छा ना हो तो सहारा समय देखकर भी दीन-दुनिया की ख़बर रखी जा सकती है....
Journalist भाईयों से एक बात और... मैं फ़िलहाल एक थियेटर टीचर हूं... संतुष्ट हूं.... मेरे बच्चे.... आपके बच्चे और एक पान वाले के बच्चे एक ही स्कूल में पढ़ेंगे... मैं अपने काम से, पान वाला अपने काम से संतुष्ट हैं... क्या आप जो कर रहे हैं आप उससे संतुष्ट हैं...?
Tuesday 12 February, 2008
मराठी स्वाद
तुम्हें जिसका चेहरा पसंद नहीं
उसे मार डालो
भले उसमें महबूब दोस्त चेहरे क्यों न शामिल हों
जो रोज़ी-रोटी की तलाश में
बिहार उत्तर-प्रदेश के सुदूर गाँवों से आये हैं
उनके पेट में रोटी की जगह गोली भर दो
अचानक बने दुश्मनों को
मार डालो
और भर जाओ
बिन ब्याहे गर्व से
जो लोग भागे हैं नहीं
हुऐ जो बेइज़्ज़त और दरबदर
उन कर्मभूमि के शरणार्थियों को
शहर की ‘फ़ेंसिंग’ कर ठूंस दो उनकी मलिन बस्तियों में
कोसी यमुना के पानी को सुखानें में
मदद लो
जलती बसों धूं धूं करती कारों की आग से
जल्द से जल्द
शिरडी का जाति प्रमाण-पत्र बनवा उस पर आजीवन ‘राज’ करो
बरबाद समोसों की चटनी और टैक्सी वाले के लहू के ‘मिक्सचर’ से बने पूरबिये ब्रांड को चखो
और महसूस करो इसमें
मराठी स्वाद।
- सुधीर राणा