तुम्हें जिसका चेहरा पसंद नहीं
उसे मार डालो
भले उसमें महबूब दोस्त चेहरे क्यों न शामिल हों
जो रोज़ी-रोटी की तलाश में
बिहार उत्तर-प्रदेश के सुदूर गाँवों से आये हैं
उनके पेट में रोटी की जगह गोली भर दो
अचानक बने दुश्मनों को
मार डालो
और भर जाओ
बिन ब्याहे गर्व से
जो लोग भागे हैं नहीं
हुऐ जो बेइज़्ज़त और दरबदर
उन कर्मभूमि के शरणार्थियों को
शहर की ‘फ़ेंसिंग’ कर ठूंस दो उनकी मलिन बस्तियों में
कोसी यमुना के पानी को सुखानें में
मदद लो
जलती बसों धूं धूं करती कारों की आग से
जल्द से जल्द
शिरडी का जाति प्रमाण-पत्र बनवा उस पर आजीवन ‘राज’ करो
बरबाद समोसों की चटनी और टैक्सी वाले के लहू के ‘मिक्सचर’ से बने पूरबिये ब्रांड को चखो
और महसूस करो इसमें
मराठी स्वाद।
- सुधीर राणा
1 comment:
sir incomplete he sahi but its gud creativity..
really.
waise zyada ni samajh aayi but still nice ........
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